Sunday, 10 February 2019

रोबोट बाँटेंगे पीजीआई की डिग्रियाँ

-महेश देवनानी
  
कल दोपहर सफलतापूर्वक संपन्न हुए ३५वें दीक्षांत समारोह में पीजीआई ने अपने मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्ढा से लगातार दो घंटे तक खड़े रहकर करीब एक हजार छात्र-छात्राओं को डिग्रियाँ एवं मेडल दिलवा कर उनके प्रति अपने सच्चे स्नेह एवं आदर का प्रदर्शन किया है। तीन साल बाद हुए इस दीक्षांत समारोह में पीजीआई के इस प्रेमभाव और अपने स्टेमिना से गदगद नजर आ रहे श्री नड्ढा ने इसे पीजीआई के लिए एक गौरव का क्षण, एवं निदेशक, पीजीआई ने इसे एक विश्व कीर्तिमान बताया है।

फैकल्टी एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुए श्री नड्ढा ने पीजीआई में हो रहे अनुसंधान की सराहना करते हुए संस्थान में अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर बल दिया। उनके इस सुझाव पर पूरा सभागार करतल ध्वनि एवं हो-हो-हो की सुमधुर स्वरलहरियों से गूँज उठा।

दीक्षांत समारोह संपन्न होने के बाद से ही संस्थान में यह चर्चा आम है कि मंत्री जी के सुझाव पर अमल करते हुए संस्थान को आगामी वर्षों में दीक्षांत समारोहों में रोबोटों के इस्तेमाल पर विचार करना चाहिए। 

यूरोलॉजी विभाग के अतिउत्साहित नजर आ रहे एक फैकल्टी ने इसे एक क्रांतिकारी कदम बताया- "मैं पिछले कई वर्षों से रोबोट का इस्तेमाल गुर्दे की बीमारियाँ ठीक करने में कर रहा हूँ। पीजीआई यदि रोबोट का इस्तेमाल दीक्षांत समारोह में डिग्री बांटने में भी करता है तो मैं इसका तहेदिल से स्वागत करता हूँ।" उन्होंने कहा की इसके लिए 'द विन्ची' नाम का रोबोट सबसे उपयुक्त होगा चूंकि यह एक साथ चार डिग्रियां और मेडल बाँट सकता है। अस्पताल प्रशासन विभाग के एक संकाय सदस्य ने इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि 'सिस्टम्स एनालिसिस' के सिद्धांत के अनुसार रोबोट का इस्तेमाल डिग्री बाँटने की प्रक्रिया को और अधिक एफिसिएंट (कुशल) बनाएगा। इससे समय की बचत होगी और आने वाले वर्षों में संस्थान १००० डिग्रियों के कीर्तिमान को भी ध्वस्त कर सकेगा।  

इस प्रस्ताव का रेजिडेंट डाक्टरों ने भी पुरजोर समर्थन किया है। कई रेजिडेंट डाक्टरों ने ट्विटर पे लिखा है कि ऐसा करने से मुख्य अतिथि के कार्यक्रम बदलने पर रेसिडेंटों और उनके परिवारजनों को होने वाली असुविधा और वित्तीय हानि से भी बचा जा सकेगा। बाकी दिनों में 'द विन्ची' का इस्तेमाल 'ऊपरी कैफे' में भोजन परोसने में किया जा सकता है ताकि रेसिडेंटों को साफ़ सुथरा खाना नसीब हो सके।

रोबोट के अलावा 'आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस' (AI) यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दीक्षांत समारोह में इस्तेमाल पर भी चर्चा है। पीजीआई के 'बायोमेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स एवं डिवाइस हब' से जुड़े एक उच्च अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि AI का इस्तेमाल दीक्षांत समारोह में छात्रों का नाम पुकारने में किया जा सकता है। जैसे ही छात्र मंच पर चढ़ेगा, विभिन्न कैमरे उसका 'फेसिअल रिकग्निशन' कर छात्र की सूचना केंद्रीय सर्वर को ट्रांसमिट कर देंगे। तत्पश्चात उस छात्र से संबंधित सारी जानकारी जैसे नाम, डिग्री, विभाग, मेडल इत्यादि की घोषणा 'अलेक्सा' द्वारा अपने आप ही कर दी जाएगी। इस प्रणाली के इस्तेमाल से डीन को होने वाली असुविधा से बचा जा सकेगा।

यद्यपि संस्थान में अधिकतर लोग इन तकनीकों को लेकर उत्साहित नजर आये, परन्तु कुछ बुद्धिजीवियों ने शंका जताई कि इन सभी योजनाओं की सफलता पीजीआई की धीमी और लंबी खरीद प्रक्रिया पर निर्भर करेगी। इन्होने लम्बे समय से रिक्त पड़े 'क्रय अधिकारी' के पद पर जल्दी भर्ती की भी मांग की।  

मंत्रीजी के ओजमयी और प्रेरणास्पद भाषण से संस्थान में फैले उत्साह से तो ऐसा लगता है कि अगले दीक्षांत समारोह में रोबोट और AI का इस्तेमाल करने वाला पीजीआई विश्व का पहला संस्थान बनकर विश्व पटल पर फिर एक बार देश का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करेगा।  

विशेष आभार: डॉ अभिषेक मेवाड़ा 

2 comments:

  1. शानदार!

    बस एक स्वचलित तालियाँ बजाने वाला यंत्र और ख़रीदवा दें... अभी तक हाथ दर्द कर रहे हैं।

    किन्तु रुका भी नहीं गया... दूर-दूर से आये वो बेचारे विद्यार्थी जिनको अंत में उपाधियाँ प्रदान हो रहीं थीं, उन्हें बुरा न लगे।


    "I think the next best thing to solving a problem is finding some humor in it."
    - Frank A. Clark

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  2. धन्यवाद प्रशांत!!!
    स्वचलित ताली यंत्र का विचार निसंदेह क्रांतिकारी है और दीक्षांत समारोह में चार चाँद लगा देगा। आपके विचार साझा करने हेतु धन्यवाद।

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