Friday, 7 June 2024

यक्ष प्रश्न

ऊँट,
जब पहाड़ के नीचे आए
तो संभवतया
तीन चीजें होती हैं।

एक,
होता है एहसास उसे
प्रकृति के अपरिमित सामर्थ्य का
कुदरत की खामोश लाठी का
अपनी क्षुद्र सीमाओं का

दूसरा,
टूट कर बिखर जाते हैं
आभासी मृगतृष्णाएं 
झूठ के विशाल महल
छद्म चमकती वेशभूषाएं

और तीसरा,
खुल कर विस्तीर्ण हो जाते है
असीम आशाओं के कपाट
सतरंगी इंद्रधनुष के रंग
चंचल हृदय की लालसा

हालांकि,
यक्ष प्रश्न है ये
कि कब तक रहेगा
ऊँट पहाड़ के नीचे?

-महेश 'देव'

नोट: श्री वरुण ग्रोवर का यह ट्वीट इस कविता का प्रेरणास्त्रोत है। सादर आभार।